Author Guidelines
Samaj Vaigyaniki
- लेखकों से अनुरोध है कि शोध – पत्रिका में शोध पत्र भेजते समय अंतराष्ट्रीय मानकों का ख्याल रखें । अगर इन मानकों के अनुरूप शोध पत्र नहीं होंगे तो उन्हें प्रकाशित करने में हम असमर्थ होंगे ।
- आलेख एवं शोध पत्रमें अंतर होता है आलेख तो समाचार – पत्रों एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हो सकते हैं, लेकिन शोध पत्र सिर्फ शोध पत्रिकाओं में ही प्रकाशित किए जाते हैं ।
- शोध-पत्र में संबन्धित विषय के विशेषज्ञों की टिप्पणयां / कथन / अध्ययन सार सम्मिलित हैं। इनका उल्लेख निम्न तरह से करें ।
(एस.सी.दुबे.– 2001 : 45)
शोध-पत्र में संदर्भ सूची अंतर्राष्ट्रीय मानक पद्धति में होनी चाहिए जैसे-
किताब -
स्मिथ.जे.(1963) द थ्योरी ऑफ योरोपियन कल्चर बरमिंघम : लंग्वेज प्रेस.
संपादित किताब - शुक्ला. जी. (2004) युवाओं में नशा द्वारा मिश्रा. गणेश(संपादक) भारतीय यूवा दशा एवं दिशा: रीवा, गौरव प्रकाशन, पृष्ठ 34-35।.
शोध-पत्रिका - प्रसाद, राजेशवर (2005) समाजवाद: संक्रमण और संभावनायें, शोध-पत्रिका: समाज वैज्ञानिकि, अंक 6:1-11.
थीसिस - कॉलिन.जे.(2001) ‘ओरिजिन ऑफ जर्मन यूनिवर्सिटी सिस्टम.’ पी.एच.डी. थीसिस, यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थटाउन, इंग्लैंड
वेबसाइट - जेनिंग्स,पी.(2003) एन एनोटेड बैबिलिओग्राफी ऑफकंटेमपोरेरी साइकोलोजी(ऑनलाइन) एवलेविल- http://www.bup.ac.uk/humlitsocialscience/pschch.htm ( एसेस्ड - 2 जनवरी, 2003)
- उपरोक्ततानुसार सन्दर्भ पद्धति का प्रयोग करें। शोध-पत्र ए-4 साइज कागज में एक तरफ, कम्प्युटर द्वारा टाइप हुआ होना चाहिये। शोध-पत्र 3000 से 5000 शब्दों के बीच होना चाहिए।
- शोध-पत्रके साथ 250 - 300 शब्दों का सारांश भी भेजें । मुख्य शब्द 6 से अधिक ना हों ।
- उपरोक्त गुणवत्ता के अभाव में शोध-पत्रों का प्रकाशन संभव नहीं होगा, अतःइन मानकों का गंभीरता के साथ पालन करें।
- शोध-पत्रों में सन्दर्भों का विवरण अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ होना चाहिये।
शोध-पत्र भेजने का पता:-
डॉ.महेश शुक्ला
राजनीगंधा – 8, शिल्पी उपवन, अनंतपुर, रीवा मध्य प्रदेश-486002
Email : msociology@reiffmail.com